आज हमारा पर्यावरण बहुत मुश्किलो से झूंझ रहा है जैसे ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण आदि । जिसमें प्लास्टिक का बहुत बड़ा योगदान है । प्लास्टिक की निर्भरता की वजह से आज न केवल मनुष्य, बल्कि जानवर एवं बाकि जीव जंतुओ को नुकसान पहुँच रहा है । रोज़ अखबारों में यह खबर दूषित पानी, जान लेवा बीमारियाँ एक खतरे को दर्शाती है चूँकि प्लास्टिक के उपादक से रसायन पानी में जाते है जो कि पानी में रहने वाले जीव जैसे मछली की जान को खतरा हो जाता है और यह दूषित पानी के ग्रहण से हमारी स्वास्थ्य को अत्यधिक नुक्सान होता है । आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हर वर्ष 80 लाख टन से भी अधिक प्लास्टिक महासागरों को प्रदूषित करता है। अगर कुछ न किया गया तो वर्ष 2050 तक संभावना हैं कि सागरों में प्लास्टिक की मात्रा मछलियों से अधिक हो जाएगी।
इसमें भारत का भी काफी योगदान प्लास्टिक प्रदूषण में है हालाँकि सदियों से भारत की संस्कृति ने स्वत्छता और प्रकृति की सुन्दरता बरक़रार रहे पर काफी ध्यान दिया है परन्तु उपभोक्तावाद की वजह से यहां 15 हजार टन प्लास्टिक हर दिन इस्तेमाल में लाया जाता है. वैज्ञानिकों के अनुसार प्लास्टिक न तो नष्ट होता है और न गलता है. यह नॉन-बायोडिग्रेडेबल है जिसके पश्चात् यह पृथ्वी में घुल नहीं सकता है यह सदियों तक वैसे का वैसा रहता है जिसकी वजह से सभी जीव जंतुओ को नुकसान पहुँच रहा है ।
इसीलिए आज के समय में पर्यावरणीय जागरूकता बहुत महत्वपूरण हैं जैसे गो ग्रीन अभियान है जिसका सिर्फ एक ही उधेश्य है प्रकृति को रसायनों से बचाना।
पर अगला सवाल यह है कि- कैसे हम ,, ” GO GREEN’’ अपनी दिनचर्या में ला सकते है क्योंकि हमारी प्रकृति प्लास्टिक प्रदूषण के कारण से झूंझ रही है आश्चर्यजनक बात तो यह है मनुष्य के लालच की वजह से प्रकृति मुसीबत में है वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के अनुसार भारत में सालाना 56 लाख टन प्लास्टिक कूड़ा पैदा होता है । दुनियाभर में जितना कूड़ा सालाना समुद्र में डम्प किया जाता है उसका 60 प्रतिशत भारत डम्प करता है ।इसका समाधान हैं- कुछ आसन तरीके गो ग्रीन के ।
जैविक उत्पाद
प्राकृतिक उर्वरकों के साथ यह उगाए जाते हैं, वे पोषक तत्वों को संरक्षित करते हैं। ये प्रकृति के अनुकूल जैविक उत्पाद थोड़े महंगे हो सकते है लेकिन लंबे समय में यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी है क्योंकि निजी स्वास्थ्य के लिए कार्बनिक पदार्थ आपकी न केवल त्वचा को विकिरण करेगा, बल्कि खतरनाक रसायन हमारे शरीर में जाने से रोकेगा ।
तीन R’s तकनीके
तीन R’s तकनीके हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही लाभदायक है। कलम में स्याही भरना, स्वयं बोतल लेके जाना, पैम्फलेट्स को स्वीकार नहीं करना, अपने कप कॉफी लेके जाना, पुरानी किताबों और नोटबुक आदि का उपयोग करना। ये सभी छोटी छोटी चीजें प्रकृति के लिए थोड़ा सा योगदान देने में मदद करती है ।
एक सामुदायिक उद्यान–
आसपास के क्षेत्र में एक बाग़ीचे का निर्माण कर सकते हैं, जिसमें पेड़, फल और सब्जियाँ उगा सकते हैं आदि ताकि इससे हमारी युवा पीढ़ी पर्यावरण के प्रति जागरूक होगी।
एसेंशियल आयल का उपयोग करें–
हमारे जीवन में शैंपू, एयर फ्रेशर्स, डियोड्रेंट आदि जैसे रासायनिक उत्पादों का उपयोग हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस पर रोक लगाने के लिए, एसेंशियल ऑयल जैसे नींबू, लैवेंडर, पेपरमिंट आदि स्वास्थ्यवर्धक के लिए बहुत उचित होंगे।अंततः समग्र जीवन का नेतृत्व करने के हमारे लक्ष्य को पूरा करता है यह हमें त्वचा की एलर्जी या अवांछित त्वचा से संबंधित समस्याओं जैसे मुँहासे, चहरे पर दाने जैसे खतरनाक भारी रसायनों से दूर रहने में मदद करता हैं।
कचरा कम करे
हालाँकि सोचने में जीरो कचरा जीवनचर्या मुश्किल लगती है पर हमारे कुछ उपयास से हम प्रकृति को ओजोन परत के प्रभाव से बचा सकते है यह मुमकिन है जब हम डिग्रेडेबल उत्पादों को उपयोग करे जिसके साथ हम अपना बगीचा बना सकते है जिसमे हम जितना भी बायो-डिग्रेडेबल कचरा दाल दे. पुरानी चीज़ों को दान करना या रीसायकल कर देना इसके अलावा बड़ी मात्रा में खरीदे जिससे परिवहन खर्चा निकल जाये ।
अततः पर्यावरण जागरूकता बहुत ज़रूरी है । इस समस्या से निकलने के लिए न केवल सरकार की, बल्कि हर एक नागरिक की ज़िम्मेदारी है प्रकृति को साफ़ और प्रदूषण मुक्त रखे और उपभोक्तावाद से बचे ।पानी बहुत ही प्रकृति की बहुमूल्य देन है इसे बर्बाद न करे जैसे वर्षा जल संचयन, प्लास्टिक का कम उपयोग, आदि इस प्राकृतिक संसादन का ख्याल रखेंगे अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि प्लास्टिक एक धीमे जहर की तरह काम कर रहा है. परन्तु इस समस्या का भी समाधान है जैसे की पर्यावरण अनुकूल जूट बैग उत्पादों द्वारा हम पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते है । सिंगल यूज प्लास्टिक प्लास्टिक कटलरी, प्लेट इत्यादि प्रतिबन्ध विभिन जगह महाराष्ट्र, भोपाल देहरादून यह दर्शाता हैं कि लोग अब सतत मॉडल चाहते है और पर्यावरण को सुरक्षित रखना चाहते है ।